6 चीजें, जो आपको भूलकर भी गूगल पर सर्च नहीं करनी चाहिए

6 चीजें, जो आपको भूलकर भी गूगल पर सर्च नहीं करनी चाहिएNever search these six things on Google


गूगल गजब की बला है. इसके बिना जीना मुश्किल है. गर्लफ्रेंड को किस मौके पर क्या गिफ्ट दें से लेकर अमेरिकन सिविल वॉर, हर चीज गूगल से पूछी जाती है. गूगल हर सवाल का जवाब भी देता है. मगर गूगल से पूछे जाने वाले सवालों की भी एक रेड लाइन होती है. कुछ चीजें गूगल पर कतई सर्च नहीं की जानी चाहिए
हले साफ पानी का दरिया होता था. ताजा हवा होती थी. रात को तारों से भरा आसमान दिखता था. सब्जियों-फलों में कीड़े मारने का जहर नहीं होता था. पहले बहुत कुछ अच्छा था. अब इनमें से कुछ नसीब नहीं होता. पर फिर भी एक सुकून है. अब हमारे पास गूगल है.
गूगल होता, तो हातिमताई को सातों सवालों का जवाब लाने के लिए यहां-वहां नहीं भटकना पड़ता. अलादीन को चिराग मिला था. हमें गूगल मिला है
गूगल हमारी छठी इंद्रिय है. सिक्स्थ सेंस. हमारा टीचर. दूरसंचार. मैनेजर. फ्रेंड, फिलॉस्फर, गाइड… सब. गूगल का सहारा सिर से उठ जाए, तो लगेगा कि आंखें हेरा गईं. पहले लोग जिन बातों के लिए घंटों लाइब्रेरी की खाक छानते थे, वो सब गूगल एक क्लिक में कर देता है. ऑफिस में, क्लास में, बिस्तर पर, बाथरूम में. कहीं भी. जेब में फोन रखो, तो फोन के अंदर बंद गूगल का जिन्न साथ टहलता है हमारे. जहां चाहो, स्क्रीन पर उंगली रगड़ो और सारे सवालों का जवाब मिल जाएगा. हमारे हर काम आने वाले रहनुमा की भले कोई सीमा न हो, मगर हमारे सर्च की कुछ लिमिट होनी चाहिए. कुछ चीजें हैं, जो हमें कतई गूगल सर्च नहीं करनी चाहिए. करोगे, तो गूगल जवाब देगा. मगर न करो, तो हमारा ही भला होगा. बहुत टोह-टोहकर, दिमाग पर जोर डालकर ऐसी छह चीजों की लिस्ट तैयार की है. इसको पढ़िए और गांठ बांधकर रख लीजिए.
खाने की किसी भी चीज के साथ कैंसर का नाम जोड़कर सर्च करो, तो ज्ञान हासिल होगा कि आधी चीजों से कैंसर होता है और आधी चीजों से कैंसर ठीक होता है.
1. दुनिया में बस दो तरह की चीजें हैं, आधी से कैंसर होता है, आधी से ठीक होता है
चैन से सोना चाहते हैं, तो गूगल पर किसी चीज के साथ, खासकर खाने की चीज के साथ कैंसर मत सर्च कीजिएगा. सर्च किया, तो इतना कुछ आ जाएगा कि दिमाग भन्ना जाएगा. ऐसे-ऐसे आर्टिकल और रिसर्च दिख जाएंगे, जिनके मुताबिक सांस लेने से भी कैंसर हो सकता है. इनकी मानें, तो दुनिया में ऐसा कुछ भी नहीं जिससे कैंसर नहीं हो सकता. और जिनसे नहीं हो सकता, उनसे कैंसर ठीक होने की बात मिल जाएगी. जैसे कैंसर कैंसर न हो, चावल का आटा हो. कितना भी डब्बे में बंद रखो, एक-दो महीने में घुन लगना ही है. और हां, इंटरनेट पर आपको सैकड़ों ऐसे आर्टिकल मिलेंगे जो कैंसर के साथ कोई ‘कॉन्सपिरेसी थिअरी’, माने कोई साजिश-वाजिश का चटखारा परोसते हैं. उनके मुताबिक, कैंसर बस दवाई बनाने वाली कंपनियों की साजिश है. उन्होंने ही ये रोग पैदा किया है. इन चीजों को पढ़कर आपके दिमाग में एक शक का कीड़ा घुस जाएगा, जो दिन-रात कुलबुलाता रहेगा. फिर आप ये वाहियात ‘शक का इंफेक्शन’ औरों में फैलाते घूमेंगे.डॉक्टर न होते हुए भी अगर आप इधर-उधर से नीम-हकीम जानकारियां जमा करके खुद अपना इलाज कर लेंगे, तो दुनिया में डॉक्टरों की जरूरत ही क्या है?


डॉक्टर न होते हुए भी अगर आप इधर-उधर से नीम-हकीम जानकारियां जमा करके खुद अपना इलाज कर लेंगे, तो दुनिया में डॉक्टरों की जरूरत ही क्या है?






2. डॉक्टर बनना हो, तो गूगल का सहारा मत लीजिए. MBBS कीजिए
कोई बीमारी हो, तो डॉक्टर के घर जाना चाहिए. खुद डॉक्टर नहीं बनना चाहिए. पुराने लोग भी कह गए हैं- जिसका काम, उसी को साजे. थोड़े पैसे बचाकर इधर-उधर से दवाई खाना आपको वॉरेन बफे कतई नहीं बनाएगा. शरीर का नुकसान तो होगा ही, साथ में बीमारी बढ़ गई तो ज्यादा पैसे खर्च होंगे. गूगल के पास हर मर्ज का इलाज है. मगर ये इलाज नीम-हकीम भी होता है. उसको करना और फलां नदी पर बने फलां पुल के पाया नंबर तीन के नीचे बैठे शर्तिया इलाज वाले हकीम साहब से दवा लेना एक बराबर है. अपनी और अपने परिवार-प्यार-दोस्त की परवाह कीजिए और गूगल पर बीमारी का इलाज सर्च मत कीजिए.अबॉर्शन बेहद संवेदनशील मसला है. कुछ भी गड़बड़ हुई, तो लेने के देने पड़ सकते हैं. डॉक्टर की मदद के बिना तो अबॉर्शन कराने की सोचें ही मत.


अबॉर्शन बेहद संवेदनशील मसला है. कुछ भी गड़बड़ हुई, तो लेने के देने पड़ सकते हैं. डॉक्टर की मदद के बिना तो अबॉर्शन कराने की सोचें ही मत.

3. गर्भपात कैसे करें
आगे कुछ कहने से पहले ये बता दें कि शादी से पहले सेक्स करना गैरकानूनी नहीं है. शादी के पहले प्रेग्नेंट होना भी गैरकानूनी नहीं है. ये जान लिया, तो आगे पढ़िए. अगर बिना प्लानिंग के प्रेग्नेंट हो जाएं, तो डॉक्टर के पास जाकर सुरक्षित तरीके से अबॉर्शन कराएं. डॉक्टर आपकी पहचान सार्वजनिक नहीं कर सकते. इसमें बहुत पैसे भी नहीं लगते. ‘हाऊ टू अबॉर्ट’ टाइप करके गूगल पर गर्भपात के तरीके खोजना जानलेवा है. ये आपको ‘पका पपीता खाने से बच्चा गिर जाता है’ जैसी चीजें भी बताएगा. आपको अंदाजा भी नहीं कि उल्टी-सीधी दवाएं खाकर अबॉर्शन करने की कोशिश आपको कितनी बड़ी मुश्किल में फंसा सकती है. जान तक जा सकती है. बहुत किस्म के साइड इफेक्ट हो सकते हैं.
4. चाइल्ड पॉर्न
पॉर्न देखने में कोई खराबी नहीं, मगर इसमें भी कुछ है जो बेहद गलत होता है. जैसे- चाइल्ड पॉर्न. छोटे मासूम बच्चे अपने लिए क्या फैसला करेंगे? इसके लिए बच्चों को किडनैप किया जाता है. उनकी खरीद-फरोख्त होती है. उनके ऊपर जुल्म होता है. क्या ऐसी किसी चीज में आनंद तलाशा जा सकता है? इंसान होंगे, तो इसका जवाब देंगे- नहीं. मगर कुछ लोग इंसान होकर भी इंसान नहीं होते. उन्हें गैर-मानवीय चीजों में भी मजा आता है. ऐसों के लिए कानून बना है. चाइल्ड पॉर्न बनाना या देखना, दोनों गैरकानूनी है. ऐसा करने वाले अगर पकड़े गए, तो उनको सजा होती है. सरकार ने नियम सख्त कर दिए हैं. गूगल पर सर्च करने से आप छुप नहीं सकते. आपका आईपी अड्रेस आपकी पहचान भी तो होता है. माने, चाइल्ड पॉर्न जैसी चीजें सर्च करना आपको जेल भी पहुंचा सकता है.टेक्नॉलजी बहुत सहूलियत देती है. बहुत मदद मिलती है इससे, मगर ऐसा नहीं कि आप इंटरनेट पर क्या कर रहे हैं इसपर किसी की नजर नहीं. आप कुछ आपत्तिजनक या आपराधिक सर्च करेंगे और जांच एजेंसियों के रडार पर आ जाएंगे.


टेक्नॉलजी बहुत सहूलियत देती है. बहुत मदद मिलती है इससे, मगर ऐसा नहीं कि आप इंटरनेट पर क्या कर रहे हैं इसपर किसी की नजर नहीं. आप कुछ आपत्तिजनक या आपराधिक सर्च करेंगे तो जांच एजेंसियों के रडार पर आ जाएंगे.

5. बम बनाने का तरीका
आतंकवाद बहुत बढ़ गया है. ऐसा कोई दिन नहीं गुजरता, जब दुनिया के किसी हिस्से में कोई आतंकी वारदात न हो. इनसे निपटने के लिए सरकारें भी खूब मुस्तैद हो गई हैं. बहुत तैयारी कर रही हैं. इन तैयारियों का एक बड़ा हिस्सा इंटरनेट और सोशल मीडिया पर खर्च हो रहा है. की -वर्ड्स की एक लंबी लिस्ट होती है सुरक्षा एजेंसियों के पास. इधर आपने वो सर्च किया और आप उनके रडार पर आ गए. ‘हाऊ टू मेक अ बॉम्ब’ जैसे की-वर्ड्स इस लिस्ट का हिस्सा हैं. किसी भी तरह के अपराध या आतंकवाद से जुड़ी चीजें गूगल सर्च करने से आप मुसीबत में फंस सकते हैं. फिर चाहे आपने बस जिज्ञासा में आकर क्यों न सर्च कर लिया हो. ‘प्रेशर कूकर बॉम्ब’, ‘बैकपैक बॉम्ब’, ‘हाऊ टू प्रिप्रेयर फॉर लोन वुल्फ अटैक’, ‘हाऊ टू जॉइन ISIS’, ‘हाऊ टू डिरेल अ ट्रेन’, ‘हाऊ टू अटैक अ एयरक्राफ्ट’, जैसी दो-कौड़ी की चीजें कतई सर्च मत कीजिएगा. ऐसी चीजें सर्च करने पर लोगों को पुलिस पकड़ भी चुकी है, वैसे ऐसा विदेशों में ही हुआ है, लेकिन हमें पक्का यकीन है कि भारत का पहला केस आप नहीं बनना चाहेंगे.ये तो बड़ा निर्दोष सर्च वर्ड है. इतनी मेहनत बच सकती है लोगों की.


ये तो बड़ा निर्दोष सर्च वर्ड है. इतनी मेहनत बच सकती है लोगों की.

और ये आखिरी वाला बड़ा मजेदार है…
6. गूगल पर कभी ‘गूगल सर्च’ न करें
आप हंसेंगे, लेकिन ये सच है. इस दुनिया में ज्यादातर लोग गूगल का क्रोम ब्राउजर इस्तेमाल करते हैं. बहुत से लोग क्रोम ओपन करते हैं. फिर उसमें ऊपर बनी पट्टी पर google.com लिखते हैं. फिर एक पेज खुलता है. और तब उसमें जाकर जो सर्च करना होता है, वो टाइप करते हैं. यार. क्रोम पेज पर ऊपर जो पट्टी बनी होती है, वो भी गूगल का सर्च बार ही होता है. वहां लिखो या गूगल के होमपेज पर जाकर लिखो, बात बराबर है.

.
6 चीजें, जो आपको भूलकर भी गूगल पर सर्च नहीं करनी चाहिए 6 चीजें, जो आपको भूलकर भी गूगल पर सर्च नहीं करनी चाहिए Reviewed by Arun Goutam on 12:56 AM Rating: 5

No comments:

loading...
Powered by Blogger.